"गजल" राहों में अकेले मत घूमो, बेदर्द ज़माना छेड़ेगा,

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राहों में अकेले  मत घूमो,
बेदर्द  ज़माना  छेड़ेगा,
ये शोख अदाए देखके तो,
हर कोई दीवाना  छेड़ेगा...

दुनियाकी निगाहेँ ज़ालिम हे,
कमसिन हो अभी मासूम हो तुम,
देखेगा अकेला जो तुमको,
वो लेके बहाना छेड़ेगा...

तुम आ तो गए हो महफ़िल में,
अब लौट के कैसे जाओगे,
रह रह के सुनाएगा तुमको,
जो दिल का फ़साना  छेड़ेगा...

ज़ुल्फो को घटा होठो को कवल,
आँखों को कहेगा  पैमाने,
अय मस्त अदा अब तुमको तो,
हर एक मस्ताना  छेड़ेगा...!!! 
RM MAURYA

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