अपने ही अधिकारी पर लगाये गंभीर आरोप साथ ही निर्वाचन आयोग में लगाई गुहार

अपने ही अधिकारी पर लगाये गंभीर आरोप साथ ही निर्वाचन आयोग में लगाई गुहार

 पुलिस विभाग के अधिकारियों पर आम जनमानस को प्रताड़ित करने के आरोप समय समय पर लगते ही रहते हैं।लेकिन हद तो तब हो गई कि एक इंस्पेक्टर ने अपने ही उच्चाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए  निर्वाचन आयोग के नियमों यानि कि आदर्श निर्वाचन आचार संहिता के उल्लंघन करने की बात कही है। पीड़ित इंस्पेक्टर ने इस बावत अपनी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग उ.प्र. से की है और न्याय की गुहार लगाई है। पुलिस इंस्पेक्टर शिव प्रसाद दुबे ने आई जी कानपुर आलोक सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि आई जी महोदय अकारण ही मुझसे ईर्ष्याभाव  रखते हैं और बेवजह आठ-दस जांच करवा चुके हैं और बिना किसी गलती के दंडित भी कर चुके हैं।इंस्पेक्टर  दुबे ने बताया कि मेरे द्वारा की गई अपीलों में नौ-दस माह गुजरने के बाद उन्हें वापस लौटाया गया। यहां तक कि मेरी द्वितीय वेतन वृद्धि 10/09/2017 में होनी थी लेकिन अभी तक आई जी महोदय के कारण रूकी हुई है।इतना ही नहीं इंसपेक्टर शिव प्रसाद दुबे ने यह भी बताया कि ईर्ष्या के चलते ही आई जी आलोक सिंह ने आदर्श चुनाव आचार संहिता को नजरअन्दाज करते हुए स्थानान्तरण इटावा से करते हुए लखनऊ के लिए कार्यमुक्त कर दिया। इस बाबत  शिव प्रसाद दुबे ने राज्य निर्वाचन आयोग उप्र को एक शिकायती प्रार्थना पत्र भेज कर न्याय की गुहार लगाई है। इंस्पेक्टर  दुबे ने विस्तार से बताया कि बिगत 15 फरवरी 2019 को उनका स्थानान्तरण जनपद इटावा से ई ओ डब्ल्यू लखनऊ के लिए किया गया था और 18 फरवरी को रिलीविंग थी लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के कारण वो रिलीव नहीं हो सके थे। इसके बाद 8 अप्रैल 2019 को एसएसपी के समक्ष प्रस्तुत होकर आमद करवाई एवं इसके बाद 17 अप्रैल से एक मई तक लोक सभा निर्वाचन कार्य में ड्यूटी की। इसके बाद 2 मई को लखनऊ के लिए आई जी द्वारा कार्यमुक्त कर दिया गया जो आदर्श निर्वाचन  संहिता का उल्लंघन है लेकिन ईर्ष्या  के चलते आई जी महोदय ने सबकुछ ताक पर रख दिया और द्वेषपूर्ण कार्यवाई की ।


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