पिछड़े वर्ग के मेधावी छात्रों को उपेक्षित कर आगे बढ़ा आयोग

पिछड़े वर्ग के मेधावी छात्रों को उपेक्षित कर आगे बढ़ा आयोग(UPHESC)
    संविधान में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से वंचित वर्गों के प्रतिनिधित्व के निर्धारण के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी है और सरकारें इसे लागू करने का दावा करती रहती है परन्तु हमारे ही देश मे कुछ लोग इन व्यवस्थायों के स्वघोषित  विरोधी है । वे संविधान के इन सशक्तिकरण के प्रयासों को अपने षडयंत्रो से विफल करने का प्रयास करते रहते हैं। वे काफी सफल भी हैं क्योंकि वंचित तबका अपने हितों के प्रति जागरूक नहीं है। षड्यंत्रकारी आज बहुत मजबूत है और उन्हें सरकारी संरक्षण भी मिलता प्रतीत हो रहा है। ऐसी मानसिकता के  कुछ लोग सरकार में भी हैं। फलतः उनकी मंशानुरूप कार्य जारी है।
    शिक्षक को राष्ट्रनिर्माता कहा जाता है और शिक्षा से ही राष्ट्र निर्माण, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया जा सकता है। हमारे प्रधानमंत्री बार बार सबके भागीदारी की बात कहते हैं , और वंचितों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होने का बयान देतें है, परन्तु इसी देश मे विभिन्न प्रभावी पदों पर आसीन   कुछ शासक ,प्रशासक  राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपनी भागीदारी देने से देश की 85% आबादी को रोक रहें है।  ये लोग बिना सरकारी संरक्षण के ऐसा कर रहें है यह मानना मुश्किल है। ये लोग संविधान निर्माताओं के सपनो का भारत नही बनने देना चाहते। 85% जनता की आबादी की भागीदारी से शून्य राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया कैसी होगी? वह राष्ट्र कैसा होगा , सोचिये और समझिये। ऐसे कई मामले देखने मे आ रहें हैं।
    ताजा मामला उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग(UPHESC ) द्वारा आरक्षित वर्गो के साथ किये गए षड्यंत्र का हैं।
  आज आप सबके सामने पूरा मामला रखना चाहता हूं। 
UPHESC इलाहाबाद द्वारा विज्ञापन संख्या 47 के माध्यम से राज्य के एडेड कालेजो के लिए 35 विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती हेतु मई 2016 में कुल 1150 पद विज्ञापित किये गए, जिसमे 791 अनारक्षित या ओपन, 214 ओबीसी,145 sc वर्ग के लिए हैं।इसमे चयन लिखित परीक्षा व   साक्षात्कार के अंकों के आधार पर होता है।
     इसकी लिखित परीक्षा 2018 आयोजित हुई और प्राप्तांक के आधार पर साक्षात्कार के लिए आमंत्रित करने हेतु वर्गवार कटऑफ जारी की गई। 
  बस यही से आयोग द्वारा षड्यंत्र  शुरू किया गया।
 कट ऑफ के कुछ उदाहरण देखिये-
 समाज शास्त्र - आरक्षित-103,
ओबीसी 130 , sc 112
अंग्रेजी-  अना0 -53,ओबीसी- 73, sc -55
कीट विज्ञान - अना0 -120, ओबीसी- 148.
ऐसे ही अन्य विषयों में भी।
जब इसे लेकर  व्यापक विरोध हुआ, मामला राज्यपाल महोदय  तक पहुचा। राज्यपाल महोदय ने आयोग व मुख्यमंत्री तक को इस संबंध में पत्र लिखा।  तब आयोग ने 17 जुलाई 2019 को प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सफाई दिया कि यह प्रक्रिया uphesc के लिए जारी सरकारी गजट 2014 के  बिंदु 6( 2) के अनुसार वर्गवार रिक्त पदों के सापेक्ष 5 गुने अभ्यर्थियों को बुलाकर की गई है।
और up आरक्षण अधिनियम 1994 के बिंदु 3(6)  में लिखित की - आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी मेरिट के आधार पर यदि सामान्य की मेरिट में स्थान पाता है तो वह  सामान्य श्रेणी में ही चयनित किया जा सकेगा, के
पालन  करने का  भी दावा किया गया है।
  आइये मैं Hitesh singh sainthwar  आपको पूरे मामले से परिचित कराता हूँ, फिर फैसला आप करिये।

जब Uphesc स्वम् कह रहा है कि वे अभ्यर्थी जो सामान्य की मेरिट में आएंगे उन्हें सामान्य अर्थात अनारक्षित वर्ग में ही  चयनित किया जाएगा  चाहे वे किसी भी वर्ग के हो तो आरक्षित वर्ग की  कटऑफ अनारक्षित से  अधिक कैसे हो जाएगी।  सामान्य की कटऑफ से ऊपर वाले सभी अभ्यर्थी अनारक्षित  में गिने जाने चाहिए। ऐसा न करके आयोग 1994 के आरक्षण अधिनियम का उल्लंघन कर रहा है। बता दूं कि up का 1994 का आरक्षण अधिनियम आज भी मान्य है उसे बदला नही गया है।
   यहां पर कुछ लोग भ्रम फैला सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले (दीपा E V बनाम भारत सरकार 2017)के अनुसार आरक्षित वर्ग के जो अभ्यर्थी आयु या अवसर का छूट लिए हो वे अनारक्षित में चयनित नही किये जा सकते ।तो आपको बता दे कि  इस विज्ञापन  के बिंदु 1  के अनुसार सभी के लिए आयु 62 वर्ष तक है और अवसर की कोई सीमा नही है इसलिए सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला यहाँ लागू ही नही होता।
       ऊपर उल्लिखित प्रेस विज्ञप्ति में uphesc उसके ऊपर लागू गजट 2014 के बिंदु 6(2) का उल्लेख किया गया है।
   इस गजट के बिंदु 6(2) में लिखा है
- लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में से साक्षात्कार के लिए बुलाये जाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या रिक्तियों की संख्या के 3 से 5 गुना तक जैसा आयोग उचित समझे, होगी। अंतिम अंक( cutoff) प्राप्त करने वाले समस्त अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
  अब आप देखिए कि इसमें कहीं भी वर्गवार शब्द का उल्लेख नहीं है फिर आयोग आरक्षित वर्गो को रोकने के लिए षड्यंत्र करते हुए वर्गवार शब्द अपने मनमानी रूप  से जोड़कर कट ऑफ जारी कर रहा है, जिसका उल्लेख में प्रेस विज्ञप्ति में किया गया। आयोग  अवैधानिक कार्य कर रहा है।
    यह सुनियोजित अन्याय करने हेतु षड्यंत्र ही तो है।
इसी तरह के मामले में माननीय हाइकोर्ट द्वारा case WRIT - A NO-68706 ऑफ 2015, ललित कुमार बनाम UP सरकार , में यह फैसला दिया गया कि अनारक्षित वर्ग की अंतिम कटऑफ से अधिक अंक पाने वाले सभी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में शामिल किया जाय। और इस फैसले को माननीय मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा विशेष अपील- 310 of 2015 , में भी मान्य किया गया।
   कटऑफ  में आरक्षण नियमो के खिलाफ काम करने को लेकर समाजशास्त्र विषय वाले अभ्यर्थियों द्वारा एक मुकदमा भी हाई कोर्ट में दाखिल किया गया है पर आयोग उसके फैसले का इंतजार न करके मनमर्जी करने हेतु प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा है।इससे आयोग की मंशा प्रकट हो रही है।
   इन सब अभिलेखों ,तर्को के साथ मामला राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में गया। सुनवाई के दौरान uphesc द्वारा एक आंतरिक मीटिंग में प्रस्ताव पास कर वर्ग वार मेरिट निकलने का फैसला  लिये जाने कि बात कही गयीं  और मीटिंग में  पास किये गए प्रस्ताव को प्रस्तुत किया गया,जिसे माननीय राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने आरक्षण अधिनियम 1994 , सरकारी गजट 2014 व हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन माना और uphesc को अपनी संस्तुति में कहा कि आरक्षित वर्ग के अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को आरक्षण अधिनियम 1994 ,सरकारी गजट 2014 व up हाई कोर्ट आदेश के अनुरुप , अनारक्षित रिक्तियों के सापेक्ष  जारी साक्षात्कार सूची में आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को भी शामिल किया जाय जो सामान्य की अंतिम कटऑफ से अधिक अंक अर्जित किये ही।इस हेतु  आवश्यक होने पर मेरिट को पुनः जारी किया जाय।
परन्तु uphesc राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की संस्तुतियों को दरकिनार आरक्षित वर्गो के अधिकारों से खेलने पर आतुर है। वह पुनः पुराने तरीके से ही साक्षात्कार करवाने की सूचना जारी किया है।
अब सभी को स्पष्ट हो जाना चाहिए कि uphesc की मंशा क्या है? वह स्वम् को विधानसभा, सरकार , highcourt, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग से भी ऊपर समझता है।
 Uphesc ऐसा क्यों कर पा रहा है क्योंकि उसमें संविधान विरोधी, आरक्षण विरोधी मानसिकता के लोग प्रभावी भूमिका में हैं।
     अब देखने वाली बात होगी कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, बार बार पिछडो के हित रक्षण का दावा करने वाली केंद्र व राज्य सरकार  आरक्षित वर्गो के खिलाफ इस षड्यंत्र को रोकने के लिए क्या कार्यवाही करती है।
  मेरे लिए इससे भी ज्यादा देखने वाली बात यह होगी कि आरक्षित वर्ग की 85 आबादी इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
  या फिर हम मुर्दो की तरह, कायरो की तरह अपने अधिकार से खिलवाड़ को बर्दाश्त कर जीते रहेंगे।
  इस षड्यंत्र को उजाकर करने हेतू यह मामला सभी तक पहुचाइए। शेयर करिये। कॉपी करिये। ट्वीट करिये।लड़िये ,जुझिये नही तो एक दिन ये आपको जीवन जीने के अधिकार से भी वंचित कर देंगे।

संलग्न
1- UPHESC द्वारा साक्षात्कार हेतु बुलाये गए अभ्यर्थियों की वर्गवार कटऑफ
2- आयोग द्वारा आरक्षण नियमों जे उल्लंघन पर सफाई
3-up आरक्षण अधिनियम 1994 का बिंदु  3(6)
4- आरक्षण अधिनियम पर जारी शासनादेश का बिंदु 4
5- UPHESC हेतु सरकारी गजट 2014 का बिंदु 6(2)

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