अम्बेडकरनगर। 14वें वित्त आयोग के कंटीजेंसी मद में घोटाला सामने आने के बाद अब ग्राम पंचायतों में भेजे गए धन से कराए गए कार्यों में भी घपला होने की आशंका बढ़ गई है। वित्तीय वर्ष 2016-17 से लेकर 2019-20 तक ग्राम पंचायतों में खूब धन वर्षा हुई है। पंचायत राज विभाग के अनुसार चार वर्षों में तीन अरब 14 करोड़ से अधिक धन ग्राम पंचायतों में 14वें वित्त आयोग के तहत गया है। अम्बेडकरनगर के सात विकास खंडों में 14वें वित्त आयोग के कंटीजेंसी मद में लगभग दो करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद जिले के लगभग एक दर्जन सहायक विकास अधिकारी पंचायत के खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज कराया गया है। एडीओ पंचायत ने शासनादेश को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर कंटीजेंसी के धन में हेराफेरी की है। शासनादेश के तहत कंटीजेंसी के मद का खाता खंड विकास अधिकारी के साथ एडीओ पंचायत को संचालित करना था, लेकिन मनमानी पूर्ण तरीके से एडीओ पंचायत ने एकल रूप से खाते का संचालन किया। हालांकि इस पूरे मामले में खंड विकास अधिकारियों की पूरी लापरवाही सामने आई है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में जिले के दोषी खंड विकास अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। सूत्र बताते हैं डीएम ने मामले की जानकारी शासन को भेज दी है। प्रकरण में जिला पंचायत राज अधिकारी को हटाने के लिए भी पत्र भेजा है। कंटीजेंसी मद में घोटाला सामने आने के बाद अब यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि 14वें वित्त आयोग के तहत ग्राम पंचायतों को जो धनराशि विकास कार्य के लिए भेजी गई थी क्या उसका सही सदुपयोग किया गया है? क्योंकि ग्राम पंचायतों में आए दिन घोटाले के मामले सामने आ रहे हैं। कई ग्राम पंचायतों के खाते भी सीज हुए हैं और प्रधानों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है। सरकार की तरफ से ग्राम पंचायत के प्रधानों के खिलाफ हलफनामे के तहत शिकायत करने के आदेश के चलते तमाम प्रधान घोटाला करने के बाद ही बच निकल रहे हैं। जिले की नौ सौ से अधिक ग्राम पंचायतों में पिछले चार वर्षों में तीन अरब 14 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। जिला पंचायत राज विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में प्रथम किस्त 39 करोड़ 88 लाख और दूसरी किस्त भी 39 करोड़ 88 लाख ग्राम पंचायतों को भेजी गई थी। इसी तरह से वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रथम किस्त 19 करोड़ 40 लाख जब कि दूसरी किश्त 20 करोड़ 58 लाख ग्राम पंचायतों को विकास कार्यों के लिए भेजी गई थी। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 14वें वित्त आयोग के तहत ग्राम पंचायतों को 39 करोड़ 83 लाख प्रथम किश्त भेजी गई थी जबकि द्वितीय किस्त के रूप में 46 करोड़ 18 लाख रुपए भेजी गई थी। वित्तीय वर्ष 2019-20 में ग्राम पंचायतों को प्रथम किश्त के रूप में 46 करोड़ 13 लाख लाख रुपए जबकि द्वितीय किस्त में 62 करोड़ 39 लाख रुपए ग्राम पंचायतों को भेजे गए थे। इस वित्तीय वर्ष में अब तक कोई किस्त नहीं मिली है। एक अधिकारी ने बताया कि यदि ठीक से 14वें वित्त आयोग से मिले धन की जांच कराई जाय तो हर ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर खानापूर्ति ही की गई है। कंटीजेंसी के 10 प्रतिशत का 64.50 फीसदी खर्च करने का है प्राविधान :14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों पर भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार संस्तुत बुनियादी अनुदान की धनराशि का 10% तक तकनीकी एवं प्रशासनिक मद में खर्च किया जा सकता है। कुल 10% तकनीकी एवं प्रशासनिक मद के धनराशि का क्षेत्र पंचायत में खंड विकास अधिकारी एवं सहायक विकास अधिकारी पंचायत स्तर पर खुले खाते में प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा भेजा जाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि तकनीकी एवं प्रशासनिक मद में मिलने वाले 10 फीसदी धनराशि का 64.50 फीसदी कंटीजेंसी में खर्च होता है। इसी 10 फीसदी में से ही एक प्रतिशत धनराशि निदेशक पंचायती राज को भेजा जाएगा।एडीओ पंचायत को गिरफ्तार करने में पुलिस की चाल सुस्त :दो करोड़ से अधिक कंटीजेंसी मद के घोटाले में आरोपियों को गिरफ्तार करने में पुलिस की चाल बहुत ही सुस्त है। एक दर्जन एडीओ और प्रभारी एडीओ पंचायत पर मुकदमा दर्ज होने के बाद भी अभी तक पुलिस किसी भी एडीओ पंचायत को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। जबकि इस प्रकरण की गूंज लखनऊ तक है। शासन भी घोटालेबाजों पर कार्रवाई के लिए जिले के अधिकारियों को बार-बार निर्देशित कर रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस एडीओ पंचायत को पकड़ने के बजाय उनके परिजनों और करीबियों को पकड़कर अपना मंतव्य पूरा कर रही है और बाद में उन्हें छोड़ दिया जा रहा है। वहीं एडीओ पंचायत अपने बचाव के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं।
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